Nirankari Shayari

बिना माँगें इतना दिया , दामन मेँ मेरे , समाया नहीं

कुरबान जाऊँ तेरी रहमत पर, एहसान किया और जतलाया नहीं
बिना माँगें इतना दिया , दामन मेँ मेरे , समाया नहीं
जितना दिया सतगुरू ने मुझको , उतनी तो मेरी औकात नहीं
यह तो करम है उनका , वरना मुझ मेँ तो ऐसी बात नहीं ।

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