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गुरु ना होते तो शुक्राना मुस्कुराना कौन सिखाता

गुरु ना होते तो शुक्राना मुस्कुराना कौन सिखाता

गुरु ना होता तो जिंदगी का सफर इतना सुहाना कैसे होता

गुरु ना होते तो दुख में सुख का भान कैसे होता

गुरु ना होते तो लाभ हानि में सम कैसे होते

गुरु ना होते तो बैर भाव कैसे मिटते

गुरु ना होते तो अपनी आत्मा का बोध कैसे होता

गुरु ना होते तो जिंदगी के मायने कौन बताता

गुरु ना होते तो राग द्वेष कौन मिटाता

गुरु ना होते तो युक्तियां कौन सिखाता

गुरु ना होते तो प्रेम की वाणी कौन समझाता

गुरु ना होते तो हर दिल में प्यार की गंगा कौन बहाता

गुरु ना होते तो अहंकार कौन मिटाता

गुरु ना होते तो सच झूठ के फर्क कौन बताता

गुरु ना होते तो झुकना मरना मिटना कौन सिखाता

गुरु ना होते अनुभव का ज्ञान उज्वलता कि वाणी कहां से मालूम पड़ता

गुरु ना होते तो रोते हुए को कौन हंसाता

गुरु ना होते तो भय से मुक्त कौन करता

गुरु ना होते तो हौ में दीर्घ रोग कौन बताता

गुरु ना होते तो देह भाव कौन मिटाता

गुरु ना होते तो मन का अज्ञान कौन मिटाता

गुरु ना होते तो ब्रह्मज्ञान कौन समझाता। .
सच कहें तो गुरु ना होते तो जीवन जीना कौन सिखाता। . .
गुरु की बहुत बहुत महिमा है जिसका कोई पार नहीं है ।।इस ज्ञान की बहुत बहुत जरूरत है हर मनुष्य को ।।।एक सच्चा कामिल गुरु मिल गया है शुक्राने है अपार अपार शुक्राने

One thought on “गुरु ना होते तो शुक्राना मुस्कुराना कौन सिखाता

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