एक मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाला कुम्हार ईश्वर से कहता है
एक मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाला (कुम्हार) ईश्वर से कहता है….._*
हे प्रभु तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,_*
*⚘ने मुझ जैसे असंख्य पुतले बनाकर इस धरती पर भेजे हैं,_*
*⚘_और मैंने तेरे असंख्य पुतले बना कर इस घरती पर बेचे हैं।_*
*⚘_पर ईश्वर उस समय बड़ी शर्म आती है, जब तेरे बनाये हुए पुतले आपस में लड़ते हैं_,*
*⚘_और मेरे बनाये हुए पुतलों के सामने लोग शीश झुकाते हैं”_
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