Nirankari PoemsNirankari SMS

कुछ सिक्कों की ख़ातिर बेटा बाप से करता घात है।

कैसे कैसे ज़ुल्म है करता कैसे क़दम उठाता है।

क्या क्या कर जाता है इन्सां किसी का ख़ौफ़ न खाता है।

कुछ सिक्कों की ख़ातिर बेटा बाप से करता घात है।

भाई के लहू से देखो तर भाई का हाथ है।

पहले डाका डालते थे रातों के अंधियारे में।

लूट रहा इन्सां को इन्सां अब दिन के उजियारे में।

इन कर्मों से लाभ नहीं है क़दम क़दम पर हानि है।

मानवता हो रही है लज्जित इसकी लाज बचानी है।

सन्तजनों की भक्तजनों की शिक्षा गर अपनायेंगे।

कहे ‘हरदेव’ सभी दुनिया में चैन से फिर रह पायेंगे।

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