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कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको
चलो ऐसा करो भुला दो मुझको

उठाना खुद ही पड़ता है थका टूटा बदन अपना
जब तक सांसे चल रही हैं कंधा कोई नहीं देता

आज भी अज़ीज़ है मुझे तेरी हर निशानी
चाहे दिल का दर्द हो या आंखों का पानी

मेरी मुहब्बत बेजुबां होती रही
दिल की धड़कनें अपना वजूद खोती रहीं 
कोई नहीं आया मेरे दुख में करीब
एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही

मेरी कोशिश हमेशा ही नाकाम रही
पहले तुझे पाने की अब तुझे भुलाने की

कई आंखों में रहती है कई बांहे बदलती है
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है

शायद अभी इश्क़ हमारा कच्चा है 
दिल दुखता तो है मगर रुकता नहीं है

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

दो चार नहीं मुझको बस एक दिखा दो
वो शख्स जो बाहर से भी अंदर की तरह हो

शौक से तोड़ो दिल मेरा, मुझे क्या परवाह
तुम ही रहते हो यहां, अपना घर उजाड़ोगे

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