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ये जीवन है… इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।

हम कितना रोते हैं?
कभी अपने साँवले रंग के लिए, कभी छोटे क़द के लिए,
कभी पड़ौसी की बडी कार,
कभी पड़ोसन के गले का हार, कभी अपने कम मार्क्स,
कभी अंग्रेज़ी,
कभी पर्सनालिटी,
कभी नौकरी की मार तो
कभी धंदे में मार…
हमें इससे बाहर आना पड़ता है….
ये जीवन है… इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।
चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं।
तुलना से बचें और खुश रहें ।
ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़..!!!
मेरी अपनी हैं मंजिलें, मेरी अपनी दौड़..!!!

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