Nirankari Shayari

गुरसिख वो ही जिसे हर हाल में हंसना आता है।

कमल वो ही जिसे कीचड़ में खिलना आता है
दीप वो ही जिसे आंधी में जगना आता है।
ज्ञान तो करोड़ों को दे दिया है सतगुरु ने मगर
गुरसिख वो ही जिसे हर हाल में हंसना आता है।

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