Hindi PoemNirankari Poems

Covid Poem in Hindi

कभी सोचा नहीं था,
ऐसे भी दिन आएँगें।🤔

छुट्टियाँ तो होंगी पर,
मना नहीं पाएँगे । 🛳

आइसक्रीम का मौसम होगा,
पर खा नहीं पाएँगे ।🍦

रास्ते खुले होंगे पर,
कहीं जा नहीं पाएँगे। 🛤

जो दूर रह गए उन्हें,
बुला भी नहीं पाएँगे।🙅🏼‍♀

और जो पास हैं उनसे,
हाथ मिला नहीं पाएँगे।🤝

जो घर लौटने की राह देखते थे,
वो घर में ही बंद हो जाएँगे।🏢

जिनके साथ वक़्त बिताने को
तरसते थे,उनसे ऊब जाएँगें।😏

क्या है तारीख़ कौन सा
वार,ये भी भूल जाएँगे।

कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी,
बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे।

साफ़ हो जाएगी हवा पर,
चैन की साँस न ले पाएँगे।😷

नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट,
चेहरे मास्क से ढक जाएँगें।😷

ख़ुद को समझते थे बादशाह,
वो मदद को हाथ फैलाएँगे। 🖐

क्या सोचा था कभी,
ऐसे दिन भी आएंगे।।🙏🌹

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